एक दिन, गांव में एक मेला आया। राजू और सीमा ने उसे बहुत खुशी-खुशी देखा और मेले की ओर बढ़ते हुए देखा कि वहां एक बड़ा सा झूला लगा हुआ था।
राजू ने सीमा से कहा, "हम वह झूला पर बैठकर मजा करेंगे।"
सीमा खुशी-खुशी सहमत हो गई और वे वहां झूला पर बैठ गए। झूला बहुत ऊंचा था, और जब वे झूलने लगे, तो उन्हें बहुत मजा आने लगा।
सीमा ने हँसते हुए कहा, "राजू, यह झूला हमें सचमुच खुशियों की ऊंचाइयों तक ले जा रहा है।"
राजू भी मुस्कराए और बोले, "हाँ, सीमा, खुशियों का सचमुच स्वाद इस झूले में है।"
वे झूले पर खुशी-खुशी झूलते रहे और अपने दोस्ती की मिसाल देते रहे।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि खुशियाँ हमारे साथ हैं, हमें उन्हें खोजने की आवश्यकता नहीं है, वे हमारे अंदर होती हैं और हमारे साथ हमेशा रहती हैं।
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